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डायबिटीज़ - सवाल और जवाब

  • Nikhil Shrivastava
  • Nov 22, 2017
  • 7 min read

तेजी से बदलती जीवनशेली, तनाव, डिप्रेशन और चिंता ने अनेको बिमारियों को जन्म दिया है और उन्ही में से एक गंभीर बीमारी है Diabetes जिसे मधुमेह या आम भाषा में sugar ki bimari (शुगर की बीमारी) भी कहा जाता है. यह एक ऐसी बीमारी है जो सिर्फ बड़ो को ही नहीं बच्चो को भी अपना तेजी से शिकार बना रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक आज दुनियां भर में करीब 422 million लोग डायबिटीज की समस्या से पीड़ित है जिसमे से करोड़ो लोग भारत में है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में करीब 1.5 million लोगो की जाने Diabetes के कारण गयी. अक्सर लोग जानकारी के आभाव में कई गंभीर बिमारियों के लक्षण पहेचानने में देरी कर देते है और समस्या को बड़ी बना देते है. इस लेख में हम आपको Diabetes के कारण, लक्षण और प्रकार के बारे में बताएँगे जो आपकी जानकारी के लिए उपयोगी साबित हो सकते है|

डायबिटीज़ मेलिटस की बीमारी इतनी तेज़ी से फैल रही है कि यह दुनिया में महामारी बन गयी है। डायबिटीज़ खास तौर से दो तरह की होती है, टाइप 1 और टाइप 2. टाइप 1 डायबिटीज़ की शुरूआत ज़्यादातर बचपन से ही होती है। फिलहाल डॉक्टर यह पता नहीं लगा पाए हैं कि इसे कैसे रोका जाए। इस लेख में हम टाइप 2 डायबिटीज़ के बारे में बात कर रहे हैं। देखा गया है कि डायबिटीज़ के मरीज़ों में से 90 प्रतिशत टाइप 2 के शिकार होते हैं।

पहले समय में यह बीमारी सिर्फ बड़ों को होती थी, मगर हाल ही में पाया गया है कि यह बीमारी बच्चों को भी नहीं बख्शती। लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं, टाइप 2 डायबिटीज़ होने के खतरे से कुछ हद तक बचा जा सकता है। दबे पाँव आनेवाली इस बीमारी के बारे में जानना आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।



डायबिटीज़ क्या है?

जब खून में ग्लूकोज़ (शर्करा या शुगर) की मात्रा बहुत ज़्यादा हो जाती है, तो उसे डायबिटीज़ कहते हैं। इस बीमारी की वजह से खून से ग्लूकोज़, कोशिकाओं में बराबर मात्रा में नहीं पहुँच पाता, जो उर्जा या ताकत पैदा करने के लिए ज़रूरी है। नतीजा, शरीर के खास अंग खराब होने लगते हैं और खून के बहाव में गड़बड़ी आ जाती है, जिस वजह से कभी-कभी पैर का अँगूठा या पैर ही काटना पड़ता है, या आँखों की रौशनी चली जाती है या गुरदों की बीमारी हो जाती है। डायबिटीज़ के ज़्यादातर रोगियों की मौत दिल के दौरे या स्ट्रोक (लकवा) से होती है।

टाइप 2 डायबिटीज़ की एक बड़ी वजह है, शरीर में बहुत ज़्यादा चरबी (फैट) का होना। विशेषज्ञों का मानना है कि जिसके पेट और कमर में ज़्यादा फैट होता है, उसे डायबिटीज़ होने का ज़्यादा खतरा रहता है। और अगर पाचक ग्रंथि (पैंक्रियाज़) और जिगर (लिवर) में ज़्यादा फैट जमा हो जाए, तो शरीर में ग्लूकोज़ का संतुलन बिगड़ जाता है। तो फिर डायबिटीज़ होने के खतरे को आप कैसे कम कर सकते हैं?

डायबिटीज़ होने के खतरे को कम करने के तीन तरीके

1. अगर आपको डायबिटीज़ होने का खतरा ज़्यादा है, तो अपने शुगर की जाँच करवाते रहिए। जब खून में शुगर की मात्रा सामान्य से थोड़ा ज़्यादा होती है तो उसे प्रीडायबिटीज़ कहते हैं। इससे अकसर लोगों को टाइप 2 डायबिटीज़ हो जाती है। प्रीडायबिटीज़ और टाइप 2 डायबिटीज़ दोनों ही सेहत को नुकसान पहुँचाती हैं, मगर इन दोनों में फर्क है। डायबिटीज़ को पूरी तरह से ठीक तो नहीं किया जा सकता, पर इसे काबू में रखा जा सकता है। मगर हाँ, जिन लोगों को प्रीडायबिटीज़ हुई उनमें से कुछ लोग अपना ब्लड-शुगर वापस सामान्य स्तर पर लाने में कामयाब हुए हैं। प्रीडायबिटीज़ ऐसी बीमारी है जिसके शायद कोई लक्षण नज़र न आएँ। इसलिए शायद इस बीमारी के होने का पता ही न चले। रिपोर्ट दिखाती हैं कि पूरी दुनिया में करीब 31 करोड़ 60 लाख लोगों को प्रीडायबिटीज़ है, मगर इनमें से ज़्यादातर को इसकी खबर नहीं है। उदाहरण के लिए, सिर्फ अमरीका में जिन लोगों को प्रीडायबिटीज़ है उनमें से 90 प्रतिशत लोगों को अपनी बीमारी का पता नहीं है।

ऐसा नहीं कि प्रीडायबिटीज़ से कोई खतरा नहीं है। यह बीमारी टाइप 2 डायबिटीज़ को दावत देती है। और हाल ही में पता लगाया गया है कि इससे डिमेन्शिया (एक तरह की दिमागी बीमारी) होने की गुंजाइश बढ़ जाती है। अगर आपका वज़न ज़रूरत से ज़्यादा है या आप चुस्त-दुरुस्त नहीं रहते, या फिर डायबिटीज़ आपके परिवार में खानदानी बीमारी है तो मुमकिन है आपको प्रीडायबिटीज़ है। ऐसे में आप खून की जाँच करवाकर पता लगा सकते हैं कि आपको प्रीडायबिटीज़ है या नहीं।

2. पौष्टिक भोजन खाइए। अगर आपके लिए मुमकिन हो तो आगे दिए कदम उठाने से आपको फायदा हो सकता है। आम तौर पर आप जितना खाना खाते हैं उससे थोड़ा कम खाइए। डिब्बा-बंद जूस और कोल्डड्रिंक वगैरह पीने के बजाय, पानी, चाय या कॉफी पीजिए। मैदे से बनी चीज़ें और जिनके ज़्यादातर पौष्टिक तत्व निकाल दिए जाते हैं, उन्हें खाने के बजाय, अच्छा होगा कि आप आटे की रोटी, चावल और पास्ता वगैरह सही मात्रा में खाएँ। कम चरबीवाले गोश्त, मछली, दाल और मूँगफली वगैरह खाइए।

3. चुस्त-दुरुस्त रहिए। कसरत करने से आपका ब्लड-शुगर कम हो सकता है और आपका वज़न भी ठीक रह सकता है। एक विशेषज्ञ सलाह देता है, ‘जो वक्‍त आप टीवी देखने में बिताते हैं, उसमें से थोड़ा वक्‍त कसरत करने में बिताइए।’

आप अपने शरीर के जीन तो बदल नहीं सकते, मगर अपनी जीवन-शैली ज़रूर बदल सकते हैं। सेहत का खयाल रखने में आप जो मेहनत करेंगे वह बेकार नहीं जाएगी।



डायबिटीज़ के प्रकार

वैसे तो डायबिटीज के 6 प्रकार है लेकिन 80 से 90 प्रतिशत लोग डायबिटीज के दो प्रकार से सबसे ज्यादा पीड़ित होते है. यह है – type 1 diabetes और type 2 diabetes

Type 1 diabetes – इस प्रकार की डायबिटीज ज्यादातर छोटे बच्चो या 20 साल के नीचे तक के लोगो में पाई जाती है. जब हमारी Pancreas (अग्न्याशय) इंसुलिन नहीं बना पाती तब टाइप 1 डायबिटीज की शुरुआत होती है. इसमें रोगी को अपने खून में ग्लूकोज का लेवल नार्मल बनाय रखने के लिए समय समय पर इंसुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं

Type 2 diabetes – टाइप 2 डायबिटीज में शरीर के अन्दर इन्सुलिन का निर्माण तो होता है पर वह शरीर की आवश्यकता के अनुसार नहीं होता. दुनियां भर में सबसे ज्यादा लोग इसी प्रकार के मधुमेह से पीड़ित है. यह अनुवांशिक भी हो सकती है और मोटापे के कारण भी.


डायबिटीज के लक्षण

डायबिटीज के अनेक लक्ष्ण है जिसमे से नीचे दिए गए प्रमुख है. अगर किसी इंसान को इनमे से ज्यादातर लक्षण दिखाई दे तो तुरतं जांच करवानी चाहिए.

  • बार-बार पेशाब का आना

  • आँखों की रौशनी कम होना

  • ज्यादा प्यास लगना

  • कमजोरी महसूस होना

  • कोई भी चोट या जख्म देरी से भरना

  • रोगी के हाथों, पैरों और गुप्तांगों पर खुजली वाले जख्म

  • स्कीन पर बार बार इन्फेक्शन होना और बार-बर फोड़े-फुँसियाँ निकलना

  • भूख ज्यादा लगना

  • ज्यादा खाना खाने के बाद भी रोगी का भार कम होना

  • चक्कर आना और हृदय गति अनियमित होने का खतरा

  • किडनी खराब होना

डायबिटीज के कारण

  • Genetic (अनुवांशिक) – डायबिटीज एक अनुवांशिक रोग है यानी अगर किसी के माता पिता को डायबिटीज है तो उनके बच्चो हो भी मधुमेह होने की सम्भावना ज्यादा होती है.

  • खान पान और मोटापा – जंक फ़ूड या फ़ास्ट फ़ूड खाने वाले लोगो में मधुमेह के सम्भावना ज्यादा पाई जाती है. क्योकि इस तरह के खाने में वसा (fat) ज्यादा पाया जाता है जिससे शरीर में कैलोरीज की मात्रा जरुरत से ज्यादा बढ़ जाती है और मोटापा बढ़ता है जिसके कारण इन्सुलिन उस मात्रा में नहीं बन पाता जिससे शरीर में शुगर लेवल में बढ़ोतरी होती है.

डायबिटीज के अन्य कारण है –

  • ज्यादा शारीरिक क्षम न करना

  • मानसिक तनाव और डिप्रेशन

  • गर्भावस्था

  • ज्यादा दवाइयों के सेवन

  • ज्यादा चाय, दूध, कोल्ड ड्रिंक्स और चीनी वाले खाने के सेवन

  • धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन



डायबिटीज की जांच – levels of sugar


मधुमेह की जांच के लिए मूत्र या खून की जाँच की जाती है जिसके जरिये शरीर में sugar की मात्रा का पता लगाया जाता है.

डायबिटीज की जांच को दो हिस्से में बाटा जाता है – खाली पेट और खाना खाने के बाद.

  • खाली पेट – खाली पेट खून में शुगर कि 80 से 120 mg/dl तक की मात्रा एक नार्मल इंसान में पाई जाती है. अगर मात्रा 120 से 140 mg/dl तक के बीच में हो तो यह डायबिटीज की शुरुआती अवस्था मानी जाती है और मात्रा अगर 140 mg/dl से ज्यादा पाई जाती है तो यह डायबिटीज की जड़ की अवस्था मानी जाती है.

  • खाना खाने के बाद – इसी तरह खाना खाने के 2 घंटे बाद अगर खून की जांच में शुगर लेवल 120 -125 mg/dl से कम पाया जाता है तो यह सामान्य है और अगर इसकी मात्रा 145 mg/dl है तो यह डायबिटीज की निशानी है.

डायबिटीज का इलाज़ और बचाव


अगर आप गंभीर से रूप से या काफी समय से मधुमेह से पीड़ित है तो बिना किसी डॉक्टर की सलाह के कोई कदम न उठाये. अगर किसी व्यक्ति को मधुमेह के शुरुआती लक्ष्ण है तो बचाव के लिए वह कुछ तरीको को अजमा सकता है.

  • Diabetes का एक कारण चिंता या तनाव भी है इसलिए जितना हो सके उतना तनाव न ले. इसके लिए आप एक्सरसाइज या मैडिटेशन भी कर सकते है. जितना हो सके उतना physical work करे. अच्छी नींद ले. साथ ही अपने वजन को कण्ट्रोल में रखे.

  • जितना हो सके उतनी balance diet (हरी सब्जियां, अनाज, दाले) ले. फ़ास्ट फ़ूड, घी तेल से बनी चीजे, ज्यादा मीठी चीजे या fat वाले भोजन काफी कम खाए. साथ ही मीठे फलो और जूसो से भी परहेज करे. इसमें आम, लीची, केला, अंगूर, चीकू, शरीफा शामिल है जिन्हें न खाए.

  • डायबिटीज के रोगियों को कपालभाति प्राणायाम (Kapalbhati pranayama), अनुलोम विलोम और मंडूकासन करने की सलाह दी जाती है.

  • अगर आप डायबिटीज से पीड़ित है तो अपने पैरो की हिफाजत करे. चोट से बचाव के लिए नंगे पैर न चले. साथ ही अगर चोट लगे तो नजरंदाज बिलकुल न करे क्योकि ऐसी स्थिति में इन्फेक्शन फैलने की सम्भावना ज्यादा होती है.

  • डायबिटीज के रोगी नियमित रूप से अपने शुगर लेवल की जांच करवाए. साथ ही पैरो में सुन्नपन आने को चेतावनी के रूप में ले.

  • बिना किसी डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई न ले.


हेल्थ ही असली वेल्थ है इसलिए हमेशा अपनी सेहत का ध्यान रखे और स्वस्थ्य रहे


Note – यह जानकारी डायबिटीज के प्रति आपके ज्ञान को बढ़ाने के लिए दी गई है. बिना चिकित्सक की परामर्श के कोई भी कदम न उठाये. साथ ही अगर आपको इस लेख में कोई त्रुटी नजर आये या आप कुछ इसमें जोड़ना चाहते है तो कृपया हमे सूचित करे.


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